शिवलिंग पर जल कैसे चढ़ाएं, शिवलिंग पर जल चढ़ना एक धार्मिक प्रक्रिया है जो भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक होता है और इसे स्नान, धूप, दीप आदि से पूजा जाता है। जल शिवलिंग पर चढ़ाना शिवलिंग की पूजा का एक विशेष तरीका होता है जो शिव भक्तों द्वारा प्रचलित है।
शिवलिंग का महत्व धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों ही दृष्टिकोण से बहुत उच्च होता है। शिवलिंग भगवान शिव के प्रतीक के रूप में जाना जाता है और इसे पूजने का तरीका बहुत ही विशिष्ट होता है। शिवलिंग एक रूप धारण करता है जो उनकी अद्भुत शक्ति और ऊर्जा को दर्शाता है। इसे पूजने से शिवजी के आशीर्वाद मिलते हैं और उनकी रक्षा होती है।
शिवलिंग को स्नान, धूप, दीप, पुष्प, फल आदि से पूजा जाता है जो उनकी प्रसन्नता के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसके अलावा शिवलिंग को धारण करने से व्यक्ति में उद्यमशीलता, तपस्या की भावना आदि गुणों का विकास होता है।
इस प्रक्रिया को सही तरीके से अपनाना बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इससे हम अपनी भक्ति और समर्पण को दर्शाते हैं और शिव के आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं। सोशल मीडिया तथा अपने भक्तों में अत्यधिक प्रचलित शिव पुराण वाचक प्रदीप मिश्रा जी द्वारा भगवान शिव पर जल चढ़ने के कई सहीं उपाय बताए गए हैं जिन्हे शायद आप लोग नहीं जानते हैं इसलिए इस लेख को पूरा पढ़ें यह जानने के लिए कि शिवलिंग पर जल कैसे चढ़ाएं।
शिवलिंग पर जल कैसे चढ़ाएं – प्रदीप मिश्रा 2023
ऐसे कई लोग हैं जो कि ये सोचते हैं कि वें भगवान कि रोज पूजा करते हैं पुरी विधि से करते हैं फिर भी उन्हें अपने काम में सफलता नहीं मिलती है, और वे इससे हताश हो जाते हैं। लेकिन हम आपको बताना चाहेंगे कि कहीं न कहीं आपके तरीकों में कमी है नीचे हमें पंडित प्रदीप मिश्रा जी के व्दारा शिवलिंग पर जल चढ़ने के उपायों के बारे में बताया है इन्हें ध्यान से जरूर पढ़ें।
1.मुंह की दिशा भी हो सहीं
शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि आपका मुख पूर्व दिशा की ओर नहीं होना चाहिए। पूर्व दिशा भगवान शिव का मुख्य द्वार है और इस दिशा की ओर मुख करने से शिव के द्वार में रुकावट आती है और वे क्रोधित हो जाते हैं।
ध्यान रहे कि जल देते समय आपका मुख उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए, क्योंकि उत्तर दिशा भगवान शिव का बायां अंग माना जाता है, जो माता पार्वती को समर्पित है। इस दिशा में मुख करके जल चढ़ाने से भगवान शिव और माता पार्वती दोनों की कृपा प्राप्त होती है। भगवान की पीठ की ओर भी खड़े होकर कभी भी पूजा या जल अर्पित नहीं करना चाहिए।
2.सहीं बर्तन का करें उपयोग
भगवान शिव जी को जल देते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि जल हमेशा कलश से ही चढ़ाना चाहिए। भगवान शिव का अभिषेक करने के लिए तांबे के बर्तन को सबसे अच्छा माना जाता है। कांसे या चांदी के बर्तन से अभिषेक करना भी शुभ माना जाता है।
लेकिन जलाभिषेक के लिए कभी भी स्टील के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। लेकिन ध्यान रहे कि कभी भी तांबे के बर्तन से दूध का अभिषेक नहीं करना चाहिए क्योंकि यह अशुभ माना जाता है।
3.बैठकर जल चढ़ाएं
शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय ध्यान रखें कि जल हमेशा बैठकर ही दें। रुद्राभिषेक करते समय भी खड़े नहीं होना चाहिए। आपको बता दें कि पुराणों के अनुसार शिवलिंग पर खड़े होकर जल चढ़ाने से वह भगवान शिव को समर्पित नहीं होता और पुण्य नहीं मिलता है।
4.दाहिने हाथ से जल अर्पित करें
जिस प्रकार जल की धारा बहुत पतली धारा में आती है, उसी प्रकार एक ही धारा में धीरे-धीरे भगवान शिव को जल अर्पित करना चाहिए। ध्यान रखें कि भगवान को हमेशा दाहिने हाथ से जल चढ़ाएं और दाएं हाथ को बाएं हाथ से स्पर्श करें।
शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय इन बातों का रखें ध्यान
- भूलकर भी शिवलिंग पर स्टील के पात्र से जल नहीं चढ़ाना चाहिए इससे भगवान शिव नाराज हो जाते हैं।
- शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय हमेशा ध्यान रखें कि जल बैठकर ही चढ़ाएं। रुद्राभिषेक करते समय भी खड़े नहीं होना चाहिए।
- शिवलिंग पर कभी भी शंख से जल नहीं चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से शिव की कृपा प्राप्त नहीं होती है।
- शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय जल के पात्र में अन्य कोई सामग्री न मिलाएं। पुष्प, अक्षत या रोली जैसी कोई भी सामग्री पानी में मिलाने से उसकी शुद्धता खत्म हो जाती है।