“चाय को हिंदी मे क्या कहते है”?
चाय भारत मे नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर है। चाय एक ऐसी चीज है, जिसे बहुत सारे लोगो ने आजमाया है। सदियों से चली आ रही, इस परंपरा से एक ऐसा भी विधि है, जिसे हम आज भी मानते है, पालते है, वो है चाय। मतलब ये है की, आज भी अगर हम किसी रिश्तेदार या फिर कोई भी व्यक्ति , हमारे घर आये तो हम उसे चाय के लिए पूछते है। चाय एक ऐसी चीज है, जो मनुष्य को पिने के बाद संतुष्ट होता है। उन्हें ऐसी ऊर्जा मिलती है, जिसे वो हर काम मन लगाकर करता है। और न जाने कितने सारे फायदे है इस चाय के। लेकिन काफी सारे लोगो को मन में ये सवाल जरूर आता होगा की अगर चाय को अंग्रेजी में अगर टी बोलते है तो, फिर ” चाय को हिंदी मे क्या बोलते होंगे”?। जी हा दोस्तों ये सवाल आना आम बात है। वैसे भी चाय को लेकर अलग अलग भाषा में, अलग अलग नाम है। पर फिर भी लोगो के मन में इस सवाल से लेकर बहुत बार चर्चा हुई है। वैसे देखा जाये तो चाय अलग अलग नाम से मशहूर है, अलग अलग भाषा मे। और वैसे भी पूरी दुनिया में रहनेवाले हमारे भारतवासी और भी ना जाने बहुत सारे लोग सोचते है, विचार करते है, आखिर “चाय को हिंदी मे क्या कहते है”?।
तो चलिए देखते है, कुछ ऐसी ही अनचाही बाते जिसे आप लोगो ने सुना भी ना हो। वैसे देखा जाए तो, चाय को लेकर एक कहानी मशहूर है। शायद आप लोगो ने इस बारे मे सुना होगा या नहीं मुझे नहीं पता। बहुत सालो पहले, जब अंग्रेज भारत में आये, उस वक़्त अंग्रेज लोग भारत के मूलनिवासी लोगो को किसी भी कारन से बंदी बनाकर रखते थे। और फिर जेल में आने के बाद, उनसे मेहनत, मजदूरी करवाते थे। और इस वजह से, फिर उन लोगो को भूक भी लगती थी। लेकिन वो खाना भी नहीं देते थे। लेकिन खाने के बदले वो अंग्रेज लोग चाय जरूर देते थे। तो वो चाय भी हमारे भारत के मूलनिवासी खुशी खुशी पीते थे। क्यूंकि उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था। तो उस वक़्त वो लोग चाय भी पीते थे। और उसकी वजह से ज्यादा भूक भी नहीं लगती थी। लेकिन काम दिल लगाकर करते थे। क्यूंकि चाय से थोड़ी ऊर्जा आती थी। तो उस ऊर्जा का उपयोग काम मे करते थे। और फिर तबसे भारत मे चाय पिनवाले लोगो की संख्या बढ़ी। और वैसे देखा जाये तो, अंग्रेज तो भारत छोड़कर गए, बहुत साल हो गए। फिर भी चाय पीनेवाले लोगो की संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है। क्यूंकि चाय एक ऐसी चीज है। जिसे मनुष्य एक बार पिए तो बार बार पिने का मन करता है। और यही से चाय पिने के मामले मे, ज्यादा से ज्यादा लोग बढ़ने लगे। लेकिन उस वक़्त “चाय को हिंदी मे क्या कहते है”? इस बात से लेकर कोई झगड़ा नहीं होता था। क्यूंकि “चाय को हिंदी मे क्या कहते है”? इस बात से लोगो को लेना देना नहीं था। लोग सिर्फ चाय का स्वाद चखते थे। और इस वजह से चाय आज भी हर तरफ मशहूर है। वैसे चाय को हिंदी मे दुग्ध जल मिश्रित शर्करा युक्त पर्वतीय बूटी कहते हैं। आशा करता हूँ, आपको दी गयी जानकारी अच्छी लगी, अगर अच्छी लगी तो, कृपया इसे आपने प्रियजनों और दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूले धन्यवाद्।